लेखक:
लीला दुबे
लीला दुबे ने अनेक विश्वविद्यालयों में मानवविज्ञान तथा समाजशास्त्र का अध्यापन किया है, और मध्ववर्ती एवं उत्तर भारत में तथा केंद्रशासित क्षेत्र लक्षद्वीप के एक द्वीप पर क्षेत्रकार्य किया है। वस्तुतः लिंगभाव तथा नातेदारी के क्षेत्र में उनके विस्तृत व अंतर्दृष्टिपूर्ण अन्वेषण से स्त्रीवादी मानवविज्ञान बहुत लाभान्वित हुआ है। लीला दुबे नेहरू मेमोरियल म्यूज़ियम एंड लाइब्रेरी की सीनियर फेलो, इंडियन कॉंसिल आफ सोशल सायंस रिसर्च की नेशनल फेलो, इंटरनेशनल यूनियन आफ ऐन्थ्रोपोलाजिकल एंड ऐथ्नोलाजिकल सायंसेस के कमीशन आन वीमेन की अध्यक्ष (1976-93) तथा सेंटर फार वीमेन्स डेवलपमेंट स्टडीज की जे.पी. नाईक अतिविशिष्ट फेली रही हैं। पत्रिकाओं तथा संपादित पुस्तकों में अनेक आलेखों के अतिरिक्त उनके प्रकाशनों में निम्नलिखित पुस्तकें शामिल हैं : मैट्रिलिनि एंड इस्लाम : रिलिजन एंड सोसाइटी इन लैकदीब्ज (ए.आर.कुट्टी के साथ), सोशिआलाजी आफ किनशिप : ऐन एनालिटिकल सर्वे आफ लिटरेचर, विजिबिलिटी एंड पावर : एसेज आन वीमेन इन सोसाइटी एंड डेवलपमेंट (सहसंपादित), स्ट्रक्चर्स एंड स्ट्रैटेजीज : वीमेन, वर्क एंड फैमिली (सहसंपादित), और वीमेन एंड किनशिप : कंपेरेटिव पर्स्पेक्टिवूज आन जेंडर इन साउथ एंड साउथ-ईस्ट एशिया। कमला गणेश बाम्बे युनिवर्सिटी के सोशियालाजी डिपार्टमेंट में प्रोफेसर हैं। वे जाति, नातेदारी तथा लिंगभाव में अंतर्हित विषयों और मुद्दों पर अनुसंधान तथा लेखन करती हैं। उनके प्रकाशनों में शामिल हैं : बाउंडरी वाल्स : क्वास्ट एंड वीमेन इन ए तमिल कम्युनिटी और निगोसिएशन एंड सोशल स्पेस (सहसंपादित)। अनुवादक के बारे में अनुवादक वंदना मिश्र पेशे से पत्रकार होने के साथ-साथ मौलिक लेखन तथा समाजशास्त्र की कुछ स्तरीय पुस्तकों के अनुवाद के लिए भी जानी जाती हैं। |
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लिंगभाव का मानववैज्ञानिक अन्वेषण : प्रतिच्छेदी क्षेत्रलीला दुबे
मूल्य: $ 18.95 |